तथागत भीम गुणगान

रचना- धर्मबन्धु (पागल बाबा)

राग- भैरवी ख्याल

ambedkar song



जग में शील सदा सुखदाई।

मानवता का धर्म है सच्चा, कर पालन प्रीति लाई रे।।

जग में शील सदा सुखदाई।। टेक।।

सब जीव समान जानके, सबसे प्रीत लगाई।

मत कर हिंसा अपने कर से, दया भाव चित्त लाई रे।।

जग में शील सदा सुखदाई।। 1।।

पर धन पत्थर जानो मन में, न हाथ लगावो भाई।

मत कर चोरी है यह बुरी आदत यह दुखदाई रे।।

जग में शील सदा सुखदाई।। 2 ।।

है सब अपनी न कोई पराई, जग में बहन अरु भाई।

मिथ्याचार न करो कामवश, व्रतधारी बन भाई रे।।

जग में शील सदा सुखदाई।। 3 ।।

पाप-मूल झूठ है जग में, और पाप कुछ नाहीं।

जो चाहो कल्याण तुम्हारा, कर लो सत्य कमाई रे।।

जग में शील सदा सुखदाई।। 4 ।।

गाँजा, भाँग, अफीम, सुरा को, तनिक न पीवो भाई।

बुद्धि नाश तुम्हारा होगा, जीवन बने दुखदाई रे।।

जग में शील सदा सुखदाई।। 5 ।।

महामानव भगवान बुद्ध ने, जनहित राह बताई।

पंचशील पागल है जग में, सर्वकाल सुखदाई रे।।

जग में शील सदा सुखदाई।। 6 ।।