एक वास्तविक विश्लेषण!

हमको यह मालूम है कि इस संसार में ईश्वर देवी-देवता वगैरह कुछ नहीं है, किन्तु हम लोग सतत लोगों से भगवान भगवान करने को कहते हैं! क्योंकि उससे हमारा पेट भरता है। सच बोलने पर कोई फूटी कौड़ी भी नहीं देता किंतु झूठ बोलकर हजारों रुपए मिलते हैं।

पूजा-पाठ, अभिषेक, आशीर्वाद, वरदान,हस्त-पुण्य, मोक्ष यह सब बिल्कुल झूठे हैं; ऊपर स्वर्ग नहीं है और नीचे नर्क भी नहीं है है सबका सब सिर्फ बकवास! काल्पनिक नर्क हमने ही निर्मित किया लोगों को डर दिखाने के लिए। हम ही नये पंथ और नयी नयी पूजा पद्धतियों का निर्माण करते हैं। कारण सीधा है कि लोगों कुछ नया चाहिए होता है!

सच कहूं तो भारत में इतने मूर्ख लोग रहते हैं कि संसार में और कहीं नहीं मिलेंगे , हम जो कहते हैं उसे वे तुरंत मान लेते हैं उसकी न जांच करते हैं और न ही कोई तर्क करते हैं। हम ब्राह्मण कभी भी तीर्थ यात्राओं पर नहीं जाते हमें पता है तीर्थ यात्रा पर जाकर जो ईश्वर देवी-देवता हैं ही नहीं उनका  दर्शन क्या करना? देव- दर्शन से कुछ होता जाता नहीं!



जबतक Hindu धर्म में पागल लोग हैं तब तक हमारा धंधा चलेगा और हम चलायेंगे! फुकट का पैसा मिलता है! मेरे दादा मुझसे ज्यादा पैसे घर पर लाते हैं! मैं वकील होकर भी कम पैसे कमा पाती हूं, स्नान करना, संध्यापाठ करना, तिलक चंदन, वेशभूषा आदि सिर्फ हमारा महत्व बढ़ाने के लिए होता है!

हमें दान हर स्तर के व्यक्ति का चलता है फिर चाहे वह अस्पृश्य हो या अन्य किसी पंथ का हो हमें कोई फर्क नहीं पड़ता! आरती,पंचआरती, गणपति, दुर्गा यह सब कुछ झूठ है।इन पर सादा विचार भी लोग नहीं करते!

आप गणपति को बाजे गाजे के साथ लाते हैं और बाजे गाजे के साथ ही ले जाकर पानी में डुबा देते हैं यह क्या है? किन्तु लोग इतने अंधे हो गए हैं कि अभी भी सौ साल तक सुधरने वाले नहीं!

हमारा धंधा चलता रहेगा, हमें कुछ भी करने की जरूरत नहीं क्योंकि सभी जातियों की महिलाओं के दिमाग पर हमारा कब्जा है वे पति की बात नहीं मानतीं किंतु हमारी बात मानती हैं। हमारे द्वारा बताए गए हर पूजा-पाठ, व्रत-उपवास, वे करती हैं!

हमने सबके दिमाग में ईश्वर देवी-देवता स्थापित कर दिया है जो कभी बाहर नहीं निकलेगा और हमारी दुकानदारी चलती रहेगी! बहुत सारे ईश्वर देवी-देवता को न मानने वाले लोग रात-दिन चिल्ला रहे हैं पर उनकी बात उनके घर के लोग ही नहीं सुनते!

हम ईश्वर देवी-देवताओं की कहानियां टीवी द्वारा, पुस्तकों द्वारा , चैनलों के कार्यक्रमों द्वारा सतत लोगों विशेषतः महिलाओं को सुनाते रहते हैं और उनके दिमाग में ईश्वर देवी-देवता भरते रहते हैं! अरे! यहां लोग कंप्यूटर की पूजा करते हैं इससे ही समझ सकते हैं कि कितने अंधे लोग रहते हैं इस देश में!

मैं ब्राह्मण हूं!

"ब्राह्मण" का अर्थ ऐसा भी है कि किसी को भी "ब्र" तक भी नहीं बोलने देना, सिर्फ अपनी ही बात लोगों को सुनाते रहना! मतलब ब्राह्मण! नास्तिक लोगों का कहना कि ईश्वर नहीं है यह शत-प्रतिशत सत्य है, लेकिन उनकी सुनता कौन है? उनकी पत्नियां तक नहीं सुनतीं!

सच पूछो तो हमें धर्म से ईश्वर एवं देवी-देवताओं से कुछ लेना-देना ही नहीं! हमें कष्टदायक, मेहनत के काम नहीं करना है, Hindu धर्म में अनेक पागल लोग हैं उनके कारण हमें फुकट में खाने को मिलता है!

हम Hindu लोगों को पांच हजार साल से मूर्ख बनाते आ रहे हैं और आज भी मूर्ख बनाना बदस्तूर जारी है। कितना भी पढ़ लिख लिए लेकिन उनकी तर्कबुद्धि अभी भी जागृत नहीं हुई है अगले सौ साल तक जागृत हो पायेगी ऐसा लगता नहीं है।

हमारे लिए अड़चन अंग्रेज थे, वे हिन्दुओं को शिक्षित करके जागरूक करने लगे थे किन्तु  जैसे ही वे यहां से गए हमने यहां अपना राज्य स्थापित कर लिया।

 Dr Ambedkar ने थोड़ा प्राब्लम खड़ा किया तो उन्हें हमने धर्म से ही निकाल बाहर किया,अपना काम हो गया! ये Hindu रोज ईश्वर ईश्वर करेंगे! हम लोग 3%। हैं 97% Hindu ने रोज ईश्वर के नाम पर यदि एक रूपया भी खर्च किया तो भी हमारे जितना धनवान पूरे संसार में कोई भी नहीं हो सकता!

 कितने मूर्ख लोग हैं! हमारे पैर पड़कर  हमें दक्षिणा देते हैं! हम हमेशा कहते हैं ईश्वर हर जगह है! यह सही है! बीते सत्तर सालों से भारत में हमारी ही सत्ता है, कांग्रेस हमारी ही है, भाजपा भी हमारी है, शिवसेना भी हमारी है यहां तक कि कम्युनिस्ट पार्टियां भी हमारी ही हैं। हम आपस में लड़ने का नाटक करते रहते हैं। हमें भारत पर राज करना है।

हम आमने-सामने कभी नहीं लड़ते, हम विरोधियों को अंदर से खोखला करके उन्हें खत्म कर देते हैं और खोखला करने के लिए हाथ तुम्हारा ही इस्तेमाल करते हैं। हर जगह हम ही हैं  और ब्राह्मण होने के नाते एक बार फिर जोर देकर कहती हूं कि "ईश्वर नहीं है" लेकिन तुम मानोगे ही नहीं! अब तुम्हीं तय करो!

हमारे साथ किसी ने गाली-गलौज किया तो यही एससी एसटी ओबीसी मराठा लोग आपस में ही लड़ जाते हैं एक दूसरे की हत्या करने में भी आगे-पीछे नहीं देखते! यही तो हमारे अवैतनिक सिपाही हैं। ईश्वर देवी-देवता, देवालय और धर्म हमारा हजारों सालों का एकमात्र 'एजेंडा' है!

यह पोस्ट पढ़कर जिसका दिमाग भन्नाया हो वही हमारा सच्चा अवैतनिक सिपाही है और  हमारे ऐसे भक्तों के दम पर ही हम इस देश पर हजारों सालों तक राजकीय, धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक, प्रचार-प्रसार, औद्योगिक, न्यायालयीन सत्ता भोगते रहेंगे!